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प्रश्न कुन्ड्ली एवम जन्म कुन्ड्ली द्वारा सटीक भविष्य कथन

प्रश्न कुन्ड्ली एवम जन्म कुन्ड्ली द्वारा सटीक भविष्य कथन
लेखक : आचार्य राम हरि शर्मा

साधरणतया ज्योतिषी भविष्य कथन जन्मकुन्डली के आधार पर करते है/ अगर किसी को अपना जन्म विवरण मालूम नही हो तो ज्योतिषी प्रश्न ज्योतिष का सहारा लेते हैं, परन्तु प्रश्न ज्योतिष की कुछ सीमायें हैं.
१. जैसे एक समय में केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दिया जा सकता है.
२. प्रछ्क के मन की दशा का अच्छा न होना .
यदि ज्योतिषी प्रश्न का उत्तर देते समय जातक की जन्म्कुन्ड्ली का भी सम्यक अध्ययन करे तो फल कथन सटीक होता है. आइए अब हम एक प्रछ्क के प्रश्न का उत्तर प्रश्नकुन्डली तथा जन्मकुन्डली के आधार पर देते हैं. दिनांक 19-3-2010 को प्रातः ७बज कर ४५ मिनट पर बेंगलूरु में मुझसे फोन द्वारा प्रश्न पुछा क्या मैं कभी एम. पी. बन पाऊंगा ? यदि हां तो कब तक? यहां प्रश्नकुन्डली और जन्मकुन्डली दे रहे हैं
प्रच्छ्क का जन्म ता. ३० दिसम्बर को रात्रि २२ बजकर ५७ मिनट पर लुधियाना में हुआ था.
प्रश्नकुन्डली में लग्न द्विस्वभाव राशि में तथा लग्नेश गुरू १२वें भाव में स्थित है, लग्न भाव गुरु एवम चंद्र की शुभ कर्तरी में है, ज्योतिषीय योगों के अनुसार यदि लग्न द्विस्वभाव राशि गत, सूर्य द्विस्वभाव राशि में तथा चन्द्रमा चर राशि में हो तो प्रश्न सम्पति,नौकरी,धन या राजनैतिक सम्बंधी होता है और इसका फल शुभ होता है. जो कि इस कुन्डली से यथार्थ है. प्रश्न राजनैतिक सम्बंधी ही है. नवमांश कुन्डली में लग्नेश तथा दशमेश धन भाव में स्थित होकर दशम भाव को पूर्ण द्र्ष्टि है इससे प्रच्छ्क के प्रश्नफल की सिद्धि होती है.
अब आइए प्रच्छ्क की जन्म कुन्डली पर एक नजर डालते हैं. जन्मकुन्डली में लग्नेश सूर्य ५वें भाव में बुध के साथ है तथा नवम भाव में चन्द्र और गुरु गजकेसरी योग बना रहे हैं. दशम भाव पर किसी भी ग्रह की द्र्ष्टि नहीं है अतः दशम भाव बलवान है और दशमेश शुक्र केन्द्र में स्थित है. यदि गुरु की द्र्ष्टि लाभ, लग्न या त्रतीय में हो तो राज नीति में सफलता दिलाते है जो कि प्रच्छ्क की कुन्डली में स्पष्ट है. इससे सिद्ध होता है कि प्रच्छ्क का एम. पी . बनना निश्चित है. इस समय प्रच्छ्क का चन्द्र्मा में बुध का अन्तर चल रहा है बुध लग्नेश तथा धनेश होकर पंचम भाव मे योगकारक मंगल के साथ स्थित है जो कि धन की स्थिति को मजबूत दर्शाता है
योगकारक मंगल की दशा ०४-११-२०१३ से शुरु होगी, और २०१४ में लोक सभा के चुनाव होंगे. सन २०१४ में गुरु अपनी उच्च राशि में भ्रमण करेगा परन्तु गुरु उस समय प्रच्छ्क की चन्द्र राशि, सूर्य राशि तथा लग्न राशि से क्रमशः चतुर्थ,अष्ट्म तथा द्वादश भाव से भ्रमण करेगा जो कि शुभ नहीं है, इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रच्छ्क की भले ही इन चुनावों में हार हो जाए परन्तु योगकारक मंगल की महादशा उसे शीघ्र ही सफलता दिलाएगी, ऐसा में सोचता हूं. शेष हरि इच्छा.

Anonymous –   – (September 12, 2010 at 7:47 AM)  

प्रश्‍न द्वारा दिया गया ज्ञान उपयोगी है।-ज्ञानेश्‍वर

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