हरि तालिका तीज व्रत ( १० सितम्बर २०१०)
हरि तालिका तीज व्रत ( १० सितम्बर २०१०)
लेखक: आचार्य राम हरी शर्मा
हिन्दू सन्स्कृति मे बहुत से ऐसे त्योहार त्तथा व्रत उत्सव है जिनका समाज मे बडा ही महत्व है. कुछ व्रत ऐसे है जिनके करने से मनोवान्छित फल मिलता है . कुछ व्रत माताये अपने बच्चो के कुशल क्षेम के लिये करती है जैसे जीवित्पुत्रिका व्रत, इसी प्रकार कुछ व्रत ऐसे भी जिनको सुहागिन स्त्रीया अपने पति की लम्बी आयु के लिये करती है उन्मे प्रमुख है करवा चौथ व्रत और हरितालिका तीज व्रत
हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ला तीज को किया जाता है इस वर्ष १० सितम्बर को हरितालिका का व्रत है. शास्त्र मे इस व्रत के लिये सधवा अथवा विधवा सबको आग्या है. इस दिन स्त्रीयो को सुबह स्नानादि से निव्रत्त हो निम्न मन्त्र से सन्कल्प करना चहिये ’ मम उमामहेश्वरसायुज्यसिद्धये हरितालिकाव्रतमहं करिष्ये, इस सकल्प को करके मकान को मन्डप आदि से सजा कर पूजा सामगी एकत्रित करनी चाहिए उसके बा द कलश स्थापन करके उस पर सुवर्णादि- निर्मित शिव-गौरि की मूर्ति स्थापित करे तथा सहस्त्रशीर्षा आदि मन्त्रो से पूजन करक्र निम्न मन्त्रो का उच्चारण करे ओम उमायै पार्वत्यै जगद्धात्र्यै जग्त्प्रतिष्ठायै शान्तिरूपिण्यै शिवायै ब्रह्म रूपिन्यै इन मन्त्रो से उमा के तथा ओम हराय महेश्वराय शम्भवे शूल पाणये पिनाकधृषे शिवाय पशुपतये महादेवाय नमः से महेस्वर के नाम मन्त्रो से स्थापन और पूजन करके धूप और दीपादि से षोडशोपचार पूजन करे और देवि देवि उमे गौरि त्राहि मां करुणानिधे ममापराधाः क्षन्तव्या भुक्तिमुक्तिप्रदा भव . से प्रार्थना करे और निराहार रहे
तथा शाम मे हरितालिका तीज व्रत की कथा का श्रवन अपने पति सहित करे फिर दूसरे दिन सुबह मे पारणा करके व्रत को समाप्त करे. दूसरे दिन आठ या १६ (जोडा -जोडी ) को भोजन कराये तथा १६ सोभाग्य पिटारी अरपण करे उसके बाद स्वयं भोजन करे और व्रत का विसर्जन करे
ऐसा करने से स्त्रीयो की मनोकामनाये अवश्य पूर्ण होती है
ज्ञानवर्धक-ज्ञानेश्वर